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Thursday, June 10, 2010

लिखें कैसे!

लिखना चाहतें है कविता,
पर लिखें कैसे!
उलझी है विचारों की संहिता,
हम लिखें कैसे!

कशमकश में हूँ मैं,
किस पर लिखूं कविता?
तूफ़ान है दिल में कई,
क्या उन्हें उड़ेल दूँ!
कि खुशबुएँ हैं जो यहाँ,
उन्हें बयार दूँ!

ख़्वाबों को सजाऊँ,
कि यादों को बताऊँ;
हो रहे है जो जुदा,
मैं उनको बहलाऊँ;
जो प्यार है, जो सार है,
उस रब को मैं गाऊँ!

सब कुछ समाया है इसी में,
सब कुछ समाया है यहाँ;
तो रब ही है कविता,
रब को बताएँ कैसे!
लिखना चाहतें है कविता,
पर लिखें कैसे!

  

10 comments:

संजय भास्‍कर said...

... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......

Sanjay bhaskar
hisar
haryana
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

Nisha said...

@Sanjay Bhaskar - meri sabhi rachnao ki itni taarif k liye bahut bahut shukriya. aapka blog 'aadat muskarane ki' padha. kavitaaon aur chote chote lekho ka mila jula sangrah achcha laga. lekh shighr hi padhe ja sakne vaale va aasan hai. mai aapke blog ki 116vi follower ban chuki hu.

Maneesha said...

very beautiful poem. shabaash !

Nisha said...

Tnakyou ma'am.

parveen kumar snehi said...

bahut hi sunder hai jiiii.....
bahut dino baad blog dekha..... naya mila... dil khush ho gya...

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

बहुत सुन्दर. ख़ूबसूरत संयोजन. साधुवाद.

Nisha said...

bhut bhut shukriya S.M.Habib.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

आपकी sabhi रचनाएं सुन्दर हैं. आप निरंतर लेखन करें ताकि आपकी रचनाएं अधिकाधिक साहित्य रसिक जनों तक पहुंचे. आपके ब्लॉग का लिंक अपने ब्लॉग में भी लगाया है. धन्यवाद.

Nisha said...

@S.M.Habib - is protsaahan ke liye vaastav me bhut bhut sh dhanyavaad.